Frozen Food Business: फ्रेंच फ्राइज़ आपने एक बार तो जरूर ही खाया होगा। यह आज के समय का ऐसा स्नैक्स है, जिसकी डिमांड बहुत ज्यादा है। यह आलू से बना लोकप्रिय स्नैक्स है। मॉल हो, स्कूल की कैंटीन, कैफ़े या सड़क किनारे का स्टॉल – हर जगह आपको यह स्नैक्स मिल जायेगा।
आज के समय में इसमें कई वैरायटी में मिलते हैं जैसे:
- स्ट्रेट कट फ्राइज़
- वेजेज़ (Wedges)
- कर्ली फ्राइज़
- लेटिस कट
- क्रिंकल कट
- सीज़न्ड फ्राइज़
- बैटर कोटेड फ्राइज़
कम लागत में यह बिज़नेस शुरू करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है और एक सफल बिज़नेस बना सकते है।
बाजार की मांग (Market Demand)
भारत में फ़ूड सर्विस मार्केट करीब ₹3,600 करोड़ है। जिसमे फ़ास्ट फ़ूड इंडस्ट्री 25-30% की दर से हर साल बढ़ रही है।
फ़ास्ट फ़ूड इंडस्ट्री में आलू से बने स्नैक्स (फ्रेंच फ्राइज़, वेजेज़ आदि) का हिस्सा करीब 30% जो की लगभग ₹750 करोड़ का मार्केट है।
फ्रेंच फ्राइज़ मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस क्यों करे ?
आज के समय में फ्रेंच फ्राइज़ हर फ़ास्ट फ़ूड में शामिल मिल जाता है। यह स्नैक्स खास कर युवाओ में ज्यादा लोकप्रिय है। धीरे -धीरे फ्रोजेन फ़ूड मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। यह लम्बे समय चलने और बार-बार खपत होने वाला प्रोडक्ट। इसलिए इसको शुरू किया जा सकता है।
यह बिज़नेस शुरू करने के लिए जरुरी मशीने (Setup Requirements)
फ्रेंच फ्राइज़ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सेटअप करने के लिए आपको निम्न जरूरते होगी, आइये जानते है :
स्थान:
- आपको कम से कम 1000 से 1500 स्क्वायर फीट की जगह चाहिए
- पानी, बिजली और ट्रांसपोर्ट की सुविधा होना ज़रूरी है।
जरूरी मशीनें:
- आलू छिलने की मशीन
- स्लाइसर/कटिंग मशीन (स्ट्रेट, कर्ली, वेजेज आदि)
- ब्लांचिंग मशीन (हल्का पकाने के लिए)
- ड्रायर मशीन
- डीप फ्रीजर या कोल्ड स्टोरेज
- फ्राइंग यूनिट (यदि प्री-फ्राई कर रहे हों)
- पैकिंग मशीन
कच्चा माल:
कच्चे माल में आपको प्रोसेसिंग ग्रेड के आलू, नमक, तेल, मसाले और पैकिंग सामग्री (पाउच, बॉक्स आदि) की जरूरत पड़ेगी।
लागत (Investment Estimate)
खर्च का प्रकार | अनुमानित लागत |
---|---|
मशीनरी | ₹8 – ₹12 लाख |
कच्चा माल | ₹1 लाख |
पैकिंग सामग्री | ₹50,000 |
जगह/बिजली/पानी | ₹1 लाख |
अन्य खर्च | ₹50,000 |
कुल | ₹12 – ₹15 लाख |
फैक्ट्री में फ्रैंच फ्राइज कैसे बनाया जाता है ?
फैक्ट्री में बड़ी मात्रा में फ्रैंच फ्राइज बनाने के लिए सबसे पहले आलू को धोकर साफ़ किया जाता है। जिसके बाद उसे छिलने के लिए मशीन में डालकर छिलका हटाया जाता है। फिर अलग -अलग स्टाइल में काटा जाता है। इसके बाद हल्का पकाया जाता है ताकि टेक्सचर बना रहे।
हल्का पकाने के बाद इसमें मौजूद पानी को सुखाया जाता है और हल्का फ्राई किया जाता है (यह प्रोसेस वैकल्पिक है ) . इसके बाद फ्रेंच फ्राइज को -18 डिग्री सेल्सियस पर जमाया जाता है।
सब यह चीज़े हो जाती है तो फ्रेंच फ्राइज को पैक करके कोल्ड स्टोर्स में ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है। जिसको बाद इ मार्किट में भेजा जाता है।
कितना कमाई होगी और कैसे बेचे ?
अगर यूनिट से दिन का 1000 किलो उत्पादन होता है तो महीने का लगभग 25,000–30,000 किलो होगा। फ्रेंच फ्राइज़ वैरायटी और क्वालिटी के अनुसार मार्केट में ₹80 से ₹150 प्रति किलो बिक जायेगा।
यदि हम ₹100 प्रति किलो मानकर भी चले तो महीने के ₹30 लाख तक की टोटल सेल हो सकती है।
बिक्री के 30 लाख में से प्रोसेसिंग के निम्न खर्चे निकलते है –
खर्च | अनुमानित राशि |
---|---|
कच्चा माल | ₹5–6 लाख |
मजदूरी, बिजली | ₹1.5–2 लाख |
पैकिंग | ₹1 लाख |
मार्केटिंग व ट्रांसपोर्ट | ₹1 लाख |
अन्य खर्च | ₹50,000 |
कुल | ₹9–10 लाख |
यानि की सभी खर्चे निकालने के बाद आप महीने के ₹18–20 लाख कमा सकते है। मतलब जितना आपने फ्रोजेन फ्रेंच फ्राइज यूनिट लगाने में खर्च किया है उसकी लागत आप 8 से 12 महीनों या अधिक से अधिक 1.5 साल में निकाल सकते है।
फ्रेंच फ्राइज किसको बेचे ?
निम्न ग्राहकों को आप अपना माल बेच सकते है:
- बड़े फास्ट फूड चेन (McDonald’s, Burger King आदि)
- लोकल QSR ब्रांड्स
- होटल्स और रेस्टोरेंट्स
- स्कूल/कॉलेज की कैंटीन
- फ्रोजन फूड रिटेलर
- एक्सपोर्ट (खाड़ी देश, एशियाई देश)
जरूरी लाइसेंस और पंजीकरण
- FSSAI लाइसेंस (फूड सेफ्टी)
- Udyam पंजीकरण (MSME)
- GST रजिस्ट्रेशन
- पॉल्यूशन और फायर सेफ्टी NOC
- ISO सर्टिफिकेट (एक्सपोर्ट के लिए)
- ब्रांड नेम के लिए ट्रेडमार्क
मार्केटिंग कैसे करें?
बिज़नेस की मार्केटिंग आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके करे। इसके आलावा आप होटलों और कैफे से डायरेक्ट संपर्क करे और स्थानीय एजेंट्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ नेटवर्क बनाकर भी अपना बिक्री बढ़ा सकते है।
निष्कर्ष –
फ्रेंच फ्राइज मनुफैक्टरिंग बिज़नेस कम लागत में शुरू करने वाला आईडिया है जिसे अगर अच्छी मार्केटिंग करते है बड़ा बनाया जा सकता है। इस बिज़नेस में आप अपना खुद का ब्रांड बनाने के साथ दूसरे देशो के साथ एक्सपोर्ट भी कर सकते है। यह MSME बिजनेस के अंतरगर्त आता है।

Gaurav Maurya is a passionate business blogger and founder of Bizigoo. With 2 years of blogging experience, he helps aspiring entrepreneurs discover small business ideas, understand market trends, and take the first step toward entrepreneurship.