दोस्तों मिलिए शैवाल (Spirulina) की खेती करने वाली सुप्रिया गायकवाड़ से, जिहोने 2013 में इस खेती की शुरुआत की थी। पारंपरिक खेती से अलग इन्होने शैवाल की खेती करने की सोची। जब इन्होने इस खेती की शुरुआत थी तब इस खेती के बारे में और इसके फायदे के बारे में ज्यादा लोगो को नहीं पता था। जब वे अपनी पढाई कर रही थी तभी उन्हें इसके स्वास्थ लाभों के बारे में पता चला। सुप्रिया शुरुआत में छोटे स्तर पर शुरुआत की और तकनिकी का इस्तेमाल करके शैवाल की खेती को उन्नत बनाया। 5 साल मेहनत करने के बाद, उन्होंने न केवल अपने खेती को ही सफल बनाया बल्कि 1200 से अधिक किसानो को ट्रेनिंग देकर शैवाल की खेती को देश भर में लोकप्रिय बनाया।
आज सुप्रिया गायकवाड़ हर महीने 600 किलो शैवाल उत्पादन करती है। एक एकड़ जमीन पर वे लगभग तीन लाख लीटर क्षमता वाले टैंकों के जरिये यह खेती करती है। शैवाल को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर बेचती है और हेल्थ सप्लीमेंट के रूप में भी बेचती है। यह खेती किसानो के आय बढ़ाने का जबरदस्त फसल है। सुप्रिया का प्रयास किसानो के लिए नए अवसर खोल रहा है और शैवाल खेती को एक फायदेमंद बिज़नेस के रूप में स्थापित भी कर रहा है।
शैवाल की खेती कैसे होती है ?
इसकी खेती करने के लिए साफ़ पानी के तालाब या टैंक की जरूरत पड़ती है। टैंक में पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस) वाला पानी डाला जाता है। फिर शैवाल के बीज को पानी में मिलाया जाता है। इसको सही तापमान और रोशनी की जरूरत होती है और इसे नियमित रूप से हिलाते रहते हैं ताकि शैवाल अच्छी तरह बढ़े। 15-20 दिन में शैवाल तैयार हो जाता है, जिसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।
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